नंदी भक्ति की पराकाष्ठा हैं | निष्काम भक्ति |
भक्त व भगवान् के सम्बन्ध का चरमोत्कर्ष है नंदी का अपने महादेव के प्रति प्रेम व समर्पण | कालोपरि, कालजयी, महाकाल का यह सेवक अनंत काल तक प्रतीक्षा में है | शिव के असमाधिस्त होने तक उन्हें कल्पों अपलक निहारता नंदी भक्ति को नए आयाम देता है |
असंख्य शिव-भक्त अवतरित हुए व होते रहेंगे | शिव-भक्ति के माध्यम से त्रिलोक का ज्ञान, शक्ति व सम्पन्नता अर्जित कर ईश्वरत्व से एकाकीकरण हेतु प्रयासरत इन शिव-भक्तों ने सृष्टि को अपने अप्रतिम संस्कारों से सींचित किया | किन्तु नंदी? नंदी के लिए शिव-भक्ति एक माध्यम नहीं , अपितु भक्ति ही उसका आदि-मध्य-अंत है |
नंदी को शिव-भक्ति से कुछ अपेक्षित नहीं | उसे केवल भक्ति का ही वरदान चाहिए|महादेव को पुत्र समान अति-प्रिय उनका ये परम भक्त अपने अस्तित्व-मात्र से ही अनेकों भक्तों का मागदर्शन करता रहा है | वैरागी,अघोरी,कपाली शिव; गृहस्थ, चंद्रशेखर, उमापति शिव; नीलकण्ठ,नागेश्वर,शितिकंठ शिव; जगत सर्जक प्रलय-कर्ता शिव – अपने प्रभु का जिस भी रूप में साक्षात्कार किया, नंदी ने सदैव अपनी अविचल,अविकल,अविरल प्रेम-धारा से भगवान को सम्पूर्णता का आभास दिया |
भक्त के बिना भगवान् की परिभाषा अपूर्ण है , ज्यों शिशु बिना मातृत्व अधूरा है | भक्त व भगवान् के इस अनुपम सम्बन्ध को ये समस्त चराचर संसार कल्पेतर स्मरण रखेगा !
हर हर महादेव
है महादेव आप को हमनें कहाँ कहाँ आप को नही ढूंढा। फिर मिले भी तो इतनी भीड़ में मैंने तो सुना था तुम अकेले हिमालयाज की वादियों में रहते हो।
अब मिल भी गए हो तो ए जिंदगी कुछ जीना भी सीखा दो।
LikeLike